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दिग्विजय सिंह |
नाम | दिग्विजय सिंह |
निर्वाचित क्षेत्र | मध्य प्रदेश |
जन्मतिथि | 28 फरवरी 1947 |
जन्म स्थान | इंदौर (मध्य प्रदेश) |
राजनीतिक संबद्धता | कांग्रेस |
पिता | स्वर्गीय श्री बालभद्र सिंह |
माता | स्वर्गीय श्रीमती अपर्णा कुमारी |
पत्नी | स्वर्गीय श्रीमती आशा दिग्विजय सिंह (1969-2013), अमृता राय (2015) |
शिक्षा | श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, इंदौर, मध्य प्रदेश से बी.ई। |
व्यवसाय | राजनेता, कृषि विशेषज्ञ |
पद | 10 अप्रैल 2014 से मध्य प्रदेश संसद सदस्य मध्य प्रदेश के 15वें मुख्यमंत्री (7 दिसंबर 1993 - 8 दिसंबर 2003) |
बेवसाइट | www.digvijayasingh.in |
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दिग्विजय सिंह के बारे में
दिग्विजय सिंह कांग्रेस पार्टी से एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। राजनेताओं के द्वारा उनको अक्सर “अर्जुन सिंह” के नाम से पुकारा जाता है। 2003 विधानसभा चुनाव हारने के बाद दिग्विजय सिंह ने शपथ ले ली थी कि अगले 10 सालों तक वे किसी भी चुनाव में भाग नहीं लेगें। 10 सालों तक राजनीति से दूर रहने के बाद 2013 में दिग्विजय सिंह भाजपा के खिलाफ आरोपों के कारण खबरों में रहे। उन्होंने आरएसएस जैसे विभिन्न समूहों को “भगवा आतंकवादी” कहकर संबोधित भी किया था।
दिग्विजय सिंह का निजी जीवन
दिग्विजय सिंह का जन्म 28 फरवरी 1947 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। अपनी प्रारंभिक शिक्षा डेली कॉलेज से पूरी करने के बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग से स्नातक करने के लिए इन्होंने श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, इंदौर में दाखिला लिया। दिग्विजय सिंह का विवाह आशा दिग्विजय सिंह से हुआ, इनके एक बेटा और चार बेटियाँ हुईं। 28 फरवरी 2013 को कैंसर के कारण सिंह की पत्नी का निधन हो गया।
राजनीति से पहले दिग्विजय सिंह की रूचियाँ
- स्कूल और कॉलेज स्तर पर हॉकी, क्रिकेट और फुटबाल खेलना।
- मण्डल स्तर पर क्रिकेट खेलना।
- राष्ट्रीय स्तर पर स्कॉश खेलना।
- एक उत्साही वन्यजीव फोटोग्राफर।
दिग्विजय सिंह द्वारा संभाले गए पद
- 1969: राघोगढ़ नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष चुने गए।
- 1977, 1980: के दौरान वे गुना जिले के राघोगढ़ संसदीय सीट से संसद सदस्य चुने गए।
- 1980: में वे कृषि प्रबंधन, मत्स्य पालन, पशुपालन, सिंचाई और कमांड क्षेत्र के विकास मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री बने।
- 1984, 1991: की अवधि में वे राजगढ़ से संसद सदस्य चुने गए।
- 1985: में वे मध्य प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष नियुक्त हुए।
- 1992: मध्य प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने।
- 1993, 1998: की अवधि में वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहे।
- 2013: अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव बने।
- 2013: 2014 के आम चुनावों के लिए राहुल गांधी की अध्यक्षता वाली समिति के सदस्य बने।
उपलब्धियाँ
- दिग्विजय सिंह ने गांवों के गरीब लोगों को मजबूत एवं विकसित करने के लिए सत्ता के विकेन्द्रीकरण की धारणा को प्रचलित किया जिसके तहत 52,000 ग्राम सभाओं की स्थापना की गयी। विभिन्न गतिविधियों को संभालने के लिए ग्राम सभा के लिए आठ स्थायी समितियों का निर्माण किया गया। सत्ता के विकेन्द्रीकरण की धारणा को प्रचलित करने के लिए उनकी और उनके काम की काफी सराहना की गई। ब्रिटिश उच्चायुक्त सर रॉब यंग ने टिप्पणी की कि, “मैं मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पंचायती राज और राजीव गांधी मिशन जैसे कार्यों से काफी प्रभावित हूँ। सत्ता के विकेन्द्रीकरण और सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से चल रहे कार्य सराहनीय हैं। इस बदलाव का श्रेय मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को जाता है।”
- उनके मुख्यमंत्री रहते हुए मध्य प्रदेश में 26,000 से अधिक प्राथमिक विद्यालयों को स्थापित किया गया। प्रत्येक गांव में एक किलोमीटर के भीतर एक प्राथमिक विद्यालय तथा प्रत्येक तीन किलोमीटर के भीतर एक माध्यमिक विद्यालय स्थापित किया गया था। राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार, सिंह के कार्यकाल के दौरान साक्षरता दर में 20.11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। महिला साक्षरता के मामले में यह विकास दर 21 प्रतिशत पाई गई जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 14 प्रतिशत था।
- जब वे मुख्यमंत्री बने तो 1988 - 1989 में कुपोषित बच्चों का प्रतिशत (16%) 2002 में कम होकर 2.92% के स्तर पर आ गया था।
दिग्विजय सिंह पर विवाद
- 2004 भूमि घोटालाः भूमि घोटाले में शामिल होने के लिए लोक आयुक्त मध्य प्रदेश की विशेष पुलिस संस्थापन द्वारा दिग्विजय सिंह के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज कराई गई थी। उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम तथा आपराधिक षड्यन्त्र के तहत मामला दर्ज किया गया था।
- बटला हाउस एनकाउंटर मामलाः 2011 में दिग्विजय सिंह ने बटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी करार दिया था। हालांकि, उनके इस सुझाव को कांग्रेस ने झुठला दिया था। 2013 में, अदालत ने साफ तौर पर कह दिया था कि यह एनकाउंटर फर्जी नहीं था। हालांकि, सिंह ने अदालत के फैसले को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था।
- आरएसएस की तुलना नाजियों से करने के कारण भी दिग्विजय सिंह विवाद में रह चुके हैं। उन्होंने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा था कि आरएसएस ने मुस्लिमों को उसी तरह से लक्षित किया है जिस तरह सन् 1930 में नाजियों ने यहूदियों को बर्बाद करने के लिए लक्षित किया था।
- सुनील जोशी मर्डर केसः सुनील जोशी आरएसएस का एक कार्यकर्ता था जिसपर अजमेर दरगाह हमले में शामिल होने का आरोप था। 29 दिसंबर 2007 को उसका शव मध्य प्रदेश के देवास में पाया गया था। दिग्विजय सिंह जोशी की हत्या के मामले में सीबीआई से जाँच करवाना चाहते थे। उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा था कि “जोशी कुछ ज्यादा ही जानता था” इसीलिए उसकी हत्या कर दी गई थी।
Last Updated on September 26, 2018