आइये जानते हैं कि देश के लिए संसद के अलग-अलग सत्रों का क्या महत्व है? भारत में संसद को चलाने के लिए सर्वोच्च विधायी निकाय के लगभग 790 सदस्य एक वर्ष में तीन बार मिलते हैं। जिस अवधि के दौरान सांसद प्रत्येक सदन के कार्य को संचालित करते हैं, उसे एक सत्र कहा जाता है। प्रति वर्ष भारतीय संसद तीन सत्रों का आयोजन करती है – बजट, मानसून और शीतकालीन।
यह अक्सर देखा गया है बजट सत्र को दो अवधियों में विभाजित कर दिया जाता है जिनके बीच में 1 महीने का अंतर होता है। विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित स्थायी समितियां मंत्रालयों द्वारा दिए गए अनुदानों की मांगों पर चर्चा और विचार करने के लिए इस अवधि का उपयोग करती हैं।
सरकार नीति से संबंधित मुद्दों और गंभीर चिंता के मामलों पर सदन की स्वीकृति या राय प्राप्त करने के लिए एक प्रस्ताव को सामने रख सकती है। इसी प्रकार, सांसद भी विशिष्ट समस्याओं पर सदन का ध्यान आकर्षित करने और अत्यावश्यक सार्वजनिक महत्व के मामलों पर चर्चा शुरू करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तावित कर सकते हैं।
संसद में सांसद न केवल प्रशासनिक नीतियों पर बहस करते हैं बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि सरकार अपनी कमियों को जाने और इनके लिए जागरूक बने।
संसद के तीनों सत्र अपनी कार्य प्रणाली में एक-दूसरे से समान हैं। उदहारण के लिए – भारत के संविधान के किसी अधिनियम में संशोधन संसद के किसी भी सदन और किसी भी सत्र में किया जा सकता है।
बजट सत्र
फरवरी से लेकर मई तक आयोजित होने वाला बजट सत्र अपने मसलों के लिए अति महत्वपूर्ण माना जाता है। इस सत्र का जो सबसे महत्वपूर्ण अंग है वह है इसके सुधार के एजेंडे को आगे बढाने के लिए अधिक से अधिक बिलों को पास करना। बजट सत्र की शुरुआत रेलवे बजट प्रस्तुत करने के साथ होती है। जबकि रेल बजट फरवरी के तीसरे सप्ताह में लाया जाता है वहीं आम बजट फरवरी के अंतिम कार्य दिवस पर प्रस्तुत किया जाता है। इसमें सांसदों को बजटीय प्रावधानों और कराधान से संबंधित प्रस्तावों पर चर्चा करने का अवसर मिलता है।यह अक्सर देखा गया है बजट सत्र को दो अवधियों में विभाजित कर दिया जाता है जिनके बीच में 1 महीने का अंतर होता है। विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित स्थायी समितियां मंत्रालयों द्वारा दिए गए अनुदानों की मांगों पर चर्चा और विचार करने के लिए इस अवधि का उपयोग करती हैं।
मानसून सत्र
मानसून सत्र काफी हद तक सार्वजनिक हितों के मामलों पर चर्चा के लिए समर्पित है। इस सत्र के दौरान मंत्रियों समेत संसद के सदस्य एक बिल के रूप में विधायी प्रस्तावों को आगे ला सकते हैं।सरकार नीति से संबंधित मुद्दों और गंभीर चिंता के मामलों पर सदन की स्वीकृति या राय प्राप्त करने के लिए एक प्रस्ताव को सामने रख सकती है। इसी प्रकार, सांसद भी विशिष्ट समस्याओं पर सदन का ध्यान आकर्षित करने और अत्यावश्यक सार्वजनिक महत्व के मामलों पर चर्चा शुरू करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तावित कर सकते हैं।
शीतकालीन सत्र
यह सबसे छोटा सत्र है जो आम तौर पर मध्य नवंबर और मध्य दिसंबर के बीच एक महीने की अवधि का होता है। यह उन मुद्दों को उठाता है जिन पर संसद के दूसरे सत्र के दौरान विचार-विमर्श न हो पाया हो।संसद में सांसद न केवल प्रशासनिक नीतियों पर बहस करते हैं बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि सरकार अपनी कमियों को जाने और इनके लिए जागरूक बने।
संसद के तीनों सत्र अपनी कार्य प्रणाली में एक-दूसरे से समान हैं। उदहारण के लिए – भारत के संविधान के किसी अधिनियम में संशोधन संसद के किसी भी सदन और किसी भी सत्र में किया जा सकता है।
Last Updated on September 26, 2018