लोकसभा चुनाव 2019 चरणबद्ध सूची
राज्य | पहला चरण I (91) | दूसरा चरण II (97) | तीसरा चरण III (115) | चौथा चरण IV (71) | पांचवां चरण V (51) | छठा चरण VI (59) | सातवां चरण VII(59) |
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अंडमान निकोबार | 11 अप्रैल | - | - | - | - | - | - |
आंध्र प्रदेश | 11 अप्रैल | - | - | - | - | - | - |
अरुणाचल प्रदेश | 11 अप्रैल | - | - | - | - | - | - |
असम | 11 अप्रैल | 18 अप्रैल | 23 अप्रैल | - | - | - | - |
बिहार | 11 अप्रैल | 18 अप्रैल | 23 अप्रैल | 29 अप्रैल | 06 मई | 12 मई | 19 मई |
चंडीगढ़ | - | - | - | - | - | - | 19 मई |
छत्तीसगढ़ | 11 अप्रैल | 18 अप्रैल | 23 अप्रैल | - | - | - | - |
दादर नागर हवेली | - | - | 23 अप्रैल | - | - | - | - |
दमन दीव | - | - | 23 अप्रैल | - | - | - | - |
दिल्ली | - | - | - | - | - | 12 मई | - |
गोवा | - | - | 23 अप्रैल | - | - | - | - |
गुजरात | - | - | 23 अप्रैल | - | - | - | - |
हरियाणा | - | - | - | - | - | 12 मई | - |
हिमाचल प्रदेश | - | - | - | - | - | - | 19 मई |
जम्मू-कश्मीर | 11 अप्रैल | 18 अप्रैल | 23 अप्रैल | 29 अप्रैल | 06 मई | - | - |
झारखंड | - | - | - | 29 अप्रैल | 06 मई | 12 मई | 19 मई |
कर्नाटक | - | 18 अप्रैल | 23 अप्रैल | - | - | - | - |
केरल | - | - | 23 अप्रैल | - | - | - | - |
लक्षद्वीप | 11 अप्रैल | - | - | - | - | - | - |
मध्यप्रदेश | - | - | - | 29 अप्रैल | 06 मई | 12 मई | 19 मई |
महाराष्ट्र | 11 अप्रैल | 18 अप्रैल | 23 अप्रैल | 29 अप्रैल | - | - | - |
मणिपुर | 11 अप्रैल | 18 अप्रैल | - | - | - | - | - |
मेघालय | 11 अप्रैल | - | - | - | - | - | - |
मिजोरम | 11 अप्रैल | - | - | - | - | - | - |
नागालैंड | 11 अप्रैल | - | - | - | - | - | - |
ओडिशा | 11 अप्रैल | 18 अप्रैल | 23 अप्रैल | 29 अप्रैल | - | - | - |
पुद्दुचेरी | - | 18 अप्रैल | - | - | - | - | - |
पंजाब | - | - | - | - | - | - | 19 मई |
राजस्थान | - | - | - | 29 अप्रैल | 06 मई | - | - |
सिक्किम | 11 अप्रैल | - | - | - | - | - | - |
तमिलनाडु | - | 18 अप्रैल | - | - | - | - | - |
तेलंगाना | 11 अप्रैल | - | - | - | - | - | - |
त्रिपुरा | 11 अप्रैल | 18 अप्रैल | - | - | - | - | - |
उत्तर प्रदेश | 11 अप्रैल | 18 अप्रैल | 23 अप्रैल | 29 अप्रैल | 06 मई | 12 मई | 19 मई |
उत्तराखंड | 11 अप्रैल | - | - | - | - | - | - |
पश्चिम बंगाल | 11 अप्रैल | 18 अप्रैल | 23 अप्रैल | 29 अप्रैल | 06 मई | 12 मई | 19 मई |
लोकसभा चुनाव 2019 के उम्मीदवारों की सूची, निर्वाचन क्षेत्रवार
निर्वाचन क्षेत्र | वर्ग | उम्मीदवार | पार्टी |
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उपलब्ध नहीं | उपलब्ध नहीं | उपलब्ध नहीं | उपलब्ध नहीं |
लोकसभा चुनाव परिणाम 2019, निर्वाचन क्षेत्रवार
निर्वाचन क्षेत्र | वर्ग | विजेता उम्मीदवार | विजेता पार्टी |
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उपलब्ध नहीं | उपलब्ध नहीं | उपलब्ध नहीं | उपलब्ध नहीं |
लोकसभा चुनाव 2019, भारत में आम चुनाव
भारतीय आम चुनाव - क्या है यह?आम चुनाव लोकसभा चुनाव के रूप में भी जाने जाते हैं। चुनाव के नतीजे भारत के अगले प्रधान मंत्री का निर्वाचन करते हैं। यह चुनाव हर पांच साल के अंतराल पर भारत निर्वाचन आयोग द्वारा आयोजित किए जाते हैं। भारत के संविधान के अनुसार लोकसभा में कुल 552 सदस्य शामिल हैं। राज्यों से अधिकतम 530 सदस्यों जबकि केंद्र शासित प्रदेशों से 20 सदस्यों का चयन किया जा सकता है। राष्ट्रपति एंग्लो-इंडियन समुदाय से लोकसभा (जिसे निम्न सदन भी कहा जाता है) के लिए दो सदस्य मनोनीत करता है।
इतिहास और भूमिका
सर्वप्रथम लोकसभा चुनाव 489 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए आयोजित किए गए थे, जिसमें केवल 26 राज्यों ने भाग लिया था। उस समय, दो और तीन सीट वाले निर्वाचन क्षेत्र भी थे, हालांकि 1960 के दशक में इस प्रणाली पर रोक लगा दी गई थी।निर्वाचन प्रक्रिया
आम चुनावों की चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए, उम्मीदवारों को निर्वाचन आयोग में नामांकन दर्ज करवाने की आवश्यकता होती है। चुनावों में पार्टियों द्वारा प्रचार के लिए सरकारी निधियों का उपयोग करने पर रोक लगा दी गई है। चुनावों के दौरान कोई नई परियोजना शुरू करने के लिए सरकार भी निषिद्ध है। सभी नामांकन दाखिल होने के बाद, एक सूची प्रकाशित की जाती है जिसमें सभी उम्मीदवारों के नाम होते हैं। चुनाव प्रक्रिया दिन में सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे के बीच चलती रहती है। उस क्षेत्र का जिलाधीश मतदान प्रभारी होता है। अब मतपत्र-पेटियों के स्थान पर ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का उपयोग किया जाता है।पिछले चुनाव - विवरण और आंकड़े
20142014 के भारतीय आम चुनाव ने सोलहवीं लोकसभा का गठन किया। सभी 543 निर्वाचन क्षेत्रों से संसद सदस्य चुने गए थे। यह चुनाव 9 चरणों में आयोजित किया गया था, जो 7 अप्रैल से 12 मई तक चलता रहा और भारत के इतिहास में सबसे लंबा चुनाव बन गया। भारत निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 814.5 मिलियन (81.45 करोड़) लोग मतदान के पात्र थे। इसने 2009 के अंतिम चुनावों के बाद 100 मिलियन (10 करोड़) से अधिक मतदाताओं की वृद्धि को भी चिह्नित किया। इस तथ्य के कारण, 2014 का लोकसभा चुनाव दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव बन गया। 18-19 आयु-वर्ग के मतदाताओं का प्रतिशत कुल मतदाताओं का 2.7% था, जो 23.1 मिलियन थे। इस चुनाव में 8251 उम्मीदवारों शामिल हुए। औसत मतदान 66.38% दर्ज किया गया था, जो भारत के इतिहास में सबसे अधिक प्रतिशत वाला मतदान था।
15वीं लोक सभा का कार्यकाल पूरा होने से सिर्फ 15 दिन पहले, 16 मई 2014 को इसके परिणाम घोषित किए गए थे। 989 केंद्रों पर मतगणना की गई थी। इस चुनाव में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने 336 सीटें जीतकर बहुमत प्राप्त किया था। इसके पहले 1984 के आम चुनावों में सबसे अधिक बहुमत हासिल करके भाजपा ने अपने सहयोगियों के साथ सरकार का गठन किया था। यह इस तथ्य के कारण भी महत्वपूर्ण था कि ऐसा पहली बार हुआ था कि पार्टी अन्य पार्टियों के समर्थन के बिना शासन करने के योग्य बन गई थी।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ने कुल 59 सीटें जीतीं। कुल मतों में से 19.3% मत प्राप्त करके कांग्रेस ने 44 सीटों (कुल सीटों में से 8.1%) पर जीत हासिल की। आधिकारिक विपक्षी पार्टी बनने के लिए किसी पार्टी को 54 सीटें (कुल सीटों का 10%) हासिल करनी चाहिए थीं लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस संख्या को हासिल करने में असमर्थ रही। इसने कांग्रेस पार्टी की सबसे बुरी हार भी चिह्नित की। इस प्रकार, 16 वीं लोकसभा में देश में कोई विपक्षी दल नहीं था।
15वें लोकसभा चुनाव 16 अप्रैल 2009 से 13 मई 2009 तक आयोजित किए गए थे। चुनाव 5 चरणों में आयोजित किए गए थे। इन चुनावों में देश में कुल 714 मिलियन मतदाता थे, जिससे यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव बन गया।
543 सीटों के लिए कुल 8070 प्रत्याशियों ने चुनाव में भाग लिया। इनमें औसत मतदान 59.7% दर्ज किया गया था। 16 मई, 2009 को चुनाव के नतीजों की घोषणा की गई।
कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए ने सरकार बनाई, जिसमें मनमोहन सिंह प्रधान मंत्री बनाए गए। सदन के 322 सदस्यों के समर्थन के रूप में यूपीए ने बहुमत हासिल किया। इस बार पार्टी के समर्थकों की संख्या में गिरावट आई, जैसा कि पिछले संसद चुनाव में पार्टी ने 335 सदस्यों का समर्थन प्राप्त किया था। 2014 के चुनावों में, पार्टी को समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जनता दल (सेक्युलर) (जद (से)) और अन्य कुछ छोटी पार्टियों का समर्थन मिला था।
पिछले चुनाव की लागत
प्रत्येक चुनाव में आयोजन, प्रौद्योगिकी और श्रमिकों के लिए बड़े प्रयासों और संसाधनों की आवश्यकता होती है और इसमें काफी मात्रा में धन व्यय होता है। लोकसभा चुनावों के लिए किए गए व्यय, 1952 में हुए पहले आम चुनावों में व्यय की अपेक्षा काफी बढ़ गए हैं।1952 के लोकसभा चुनाव में कुल व्यय 10.45 करोड़ रुपये था। 2009 के चुनाव में व्यय 846.67 करोड़ रुपये था। वर्ष 2004 में कुल 1114 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जो सरकारी खजाने पर भी भारी पड़ा था। प्रथम 6 लोकसभा चुनावों में प्रति मतदाता पर एक रुपये से कम व्यय होने का अनुमान लगाया गया था। लेकिन राजनीतिक दलों की संख्या में वृद्धि मतदान प्रक्रिया के लिए उपयोग की जाने वाली उन्नत प्रौद्योगिकियों और लोकतांत्रिक गतिविधियों की संख्या में वृद्धि के कारण व्यय में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई।
2014 के चुनाव सबसे लंबी अवधि तक चले थे और भारत के इतिहास में भी सबसे अधिक खर्चीले थे। चुनाव आयोग ने अनुमान लगाया कि इन आम चुनावों की लागत 3500 करोड़ रुपए रही होगी। इस व्यय में सुरक्षा पर खर्च की गई लागत शामिल नहीं है। यह लागत 2009 के लोकसभा चुनावों में खर्च की गई राशि की तीन गुना थी। 2012 में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव पर खर्च की लागत के बाद यह व्यय दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा व्यय है। अंतिम बार 12 फरवरी 2018 को अपडेट।
Last Updated on March 12, 2019