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भारत में चुनावों का महत्व


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चुनाव दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र, भारत का आधार बनाते हैं। आजादी के बाद से अब तक चुनाव के माध्यम से अधिकतम 15 लोकसभाओं का गठन किया गया है। सबसे पहली लोकसभा का गठन 1951-52 में किया गया था। चुनाव की कार्यप्रणाली का आयोजन सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के माध्यम से किया जाता है, जिसके द्वारा संविधान की नजर में 18 वर्ष से अधिक आयु का हर भारतीय नागरिक एक योग्य मतदाता होता है।

भारत और भारत के समान किसी भी लोकतंत्र के लिए चुनावों का महत्व निम्नानुसार है-

नेतृत्व का चयन:

चुनाव, भारतीय नागरिकों को अपने नेताओं का चयन करने का एक तरीका प्रदान करते हैं। वे यह कार्य उस उम्मीदवार या पार्टी के पक्ष में अपना मतदान करके करते हैं, जिनके विचार उन्हें उत्तम लगते है। यह सुनिश्चित करता है कि निर्वाचित उम्मीदवारों में लोगों की इच्छा परिलक्षित होती है।

नेतृत्व में परिवर्तन:

भारत में चुनाव जनता के लिए एक सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ नाराजगी व्यक्त करने का मंच भी है। अन्य पार्टियों को मतदान करके और एक अलग सरकार का चुनाव करने में मदद करके नागरिक यह दर्शाते हैं कि उन्हें मौलिक अधिकार प्राप्त है।

राजनीतिक भागीदारी:

चुनाव सार्वजनिक रूप से उठाए जाने वाले नए मुद्दों के लिए दरवाजा खोलते हैं। यदि कोई भारतीय नागरिक ऐसे सुधार करना चाहता है, जो किसी भी पार्टी का एजेंडा नहीं हैं, तो वह स्वतंत्र रूप से या एक नई राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र है।

स्व-सुधारात्मक प्रणाली:

चूँकि चुनाव नियमित रुप से होने वाली प्रक्रियाएं हैं, जो भारत में हर पाँच साल में आयोजित होती हैं, सत्तारूढ़ पार्टियों कीजाँच-पड़ताल की जाती है और जनता की मांगों पर विचार किया जाता है। यह एक स्व-सुधार प्रणाली के रूप में कार्य करता है जिसके माध्यम से राजनीतिक दल अपने प्रदर्शन की समीक्षा करते हैं और मतदाताओं को खुश करने की कोशिश करते हैं।

28 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में विस्तृत 1.2 अरब से अधिक आबादी (2011 की जनगणना के अनुसार) वाले भारत में चुनावों की एक प्रणाली है जो चुनौतीपूर्ण और प्रशंसनीय दोनों है।

भारतीय चुनावों के बारे में अज्ञात तथ्य

1. मैसूर पेंट्स एंड वार्निशेज प्राइवेट लिमिटेड एकमात्र अधिकृत कंपनी है जो मतदान के बाद उंगली को चिह्नित करने के लिए उपयोग की जाने वाली अमिट स्याही बनाती है।

2. इलेक्ट्रॉनिक मतदान मशीनें 10,000 टन कागज की बचत करती हैं।

3. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को चलाने के लिए 6-वोल्ट की क्षारीय बैटरी का उपयोग किया जाता है, इसका उपयोग उन क्षेत्रों में भी किया जा सकता है जिनमें बिजली कनेक्शन नहीं है।

4. दिल्ली चुनाव 2015 में ऐसा दूसरी बार हुआ था जब कांग्रेस ने एक भी सीट नहीं जीती थी। इससे पहले कांग्रेस को उत्तर प्रदेश राज्य में 1988 में इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा था।

5. हैदराबाद में मलकाजगिरी विधानसभा में सबसे ज्यादा मतदाता हैं, जिनकी संख्या 30 लाख है।
Last Updated on September 25, 2018