लोकसभा चुनाव 2019: भाजपा अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल और ओमप्रकाश राजभर सरीखे पुराने साथियों को साथ लेकर ही लोकसभा चुनाव लड़ेगी। पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश पर दोनों दलों से पार्टी के बड़े मंत्री और पदाधिकारी बात कर उनको मनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। पार्टी सूत्रों का दावा है कि ओम प्रकाश राजभर के विरोध की वजह बनी सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को भी लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश सरकार लागू कर सकती है।
मंत्री- पदाधिकारी लगे हैं राजभर और अनुप्रिया को समझाने में
अपना दल की प्रमुख व केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल से पार्टी के महासचिव व सांसद डा.अनिल जैन बात कर रहे हैं तो ओम प्रकाश राजभर से सरकार के एक बड़े मंत्री को समझाने के लिए लगाया गया है।
अमित शाह दोनों से हैं लगातार संपर्क में
पार्टी सूत्रों के अनुसार दोनों दल अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों के खातिर भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अपने दलों का अस्तित्व बनाए रखने के लिए उनकी मजबूरी भी जायज है लेकिन चुनाव के करीब आते-आते दोनों के साथ एक सम्मानजनक समझौता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व कर लेगा। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अनुप्रिया पटेल और ओम प्रकाश राजभर दोनों से लगातार संपर्क में हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलने के बाद ही राजभर पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से भी मिले थे। मुख्यमंत्री ने उनके शिकवे भी सुने और उनके समाधान का भी वादा किया।
पार्टी के एक नेता ने कहा कि 29 दिसंबर को गाजीपुर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनसभा में ओम प्रकाश राजभर के न पहुंचने के अर्थ नहीं निकाले जाने चाहिए। वे आमंत्रित थे, नहीं पहुंचे तो उससे हमारे सबंधों में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पीएम मोदी ने राजा सुहेलदेव पर डाक टिकट जारी कर उनके ही प्रणेता का सम्मान किया है। हम उन्हें अलग-थलग करने के बारे में कतई नहीं सोच रहे हैं। केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश पर सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट का सरकार न्याय विभाग समेत अन्य विभागीय स्तर पर उसका अध्यन्न करा रही है। चुनाव से पहले उसे किसी भी समय सरकार लागू कर सकती है।
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर ने कहा, जिनके साथ हमने लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ा, वह दल हमारे लिए पहले हैं। ये हमारे संकट के साथी हैं। हम इन्हें छोड़ कर किसी नए दल से बात करें, यह भाजपा की नीति कभी नहीं रही है। यूपी में 37-37 सीटों पर सपा-बसपा लड़ रही है, जबकि कांग्रेस को केवल दो सीटें मिली हैं।
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