लोकसभा चुनाव आने वाला है जिसके चलते मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा छाया हुआ है। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में ऐलान किया था कि किसानों के दो लाख रुपये तक के कर्ज को माफ कर देंगे। कुर्सी संभालते ही मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ ने किसानों की कर्जमाफी की फाइल पर हस्ताक्षर कर दिए थे और कर्जमाफी का आदेश भी दे दिया था। लेकिन अब इस मामले में कई तरह की परेशानियां सामने आ रही हैं। कर्जमाफी के नाम पर किसी के 10 रुपये माफ हुए हैं तो किसी के 13 रुपये तो वहीं कई लोगों के नाम भी लिस्ट में शामिल नहीं हैं। जिससे परेशान होकर किसान बोले- इतने की तो हम ‘बीड़ी’ पी जाते हैं। हालत यह है कि किसान अब भटक रहे हैं।
लिस्ट में कई ऐसे लोगों के लोन को भी माफ कर दिया गया है जिन्होंने कभी लोन लिया ही नहीं था! इसके अलावा कई नाम ऐसे भी हैं जिन्होंने लोन भर दिया था लेकिन कर्जमाफी की लिस्ट में उनका नाम भी शामिल है। सीएम कमलनाथ ने तुरंत इस गड़बड़ी की जांच का आदेश दे दिया है। आदेश के मुताबिक इस गड़बड़ी के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि खबर आने के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरकार की आलोचना करते हुए इसे भद्दा मजाक बताया था। उन्होंने कहा था कि लाभार्थियों का नाम अंग्रेजी में छप रहा है जबकि प्रदेश के कई किसान अंग्रेजी भाषा नहीं समझते हैं। किसानों का कहना है कि अंग्रेजी में पढ़ना किसी के बस की बात नहीं है और ऐसे में कोई नहीं जान पा रहा है कि किसका नाम है और किसका नहीं है। बता दें कि अंग्रेजी में नाम आने की बात पर बैंक अधिकारियों का कहना है कि उनके पास हिन्दी में सॉफ्टवेयर नहीं है। वहीं सरकार का कहना है कि कोई चूक है उसको ठीक किया जाएगा। मध्य प्रदेश सरकार ने एक विज्ञप्ति जारी करते हुए मामले की जांच करने की बात कही है।
मामले पर मध्य प्रदेश के गृह मंत्री बाला बच्चन ने कहा है कि, ‘जिन लोगों को परेशानी हो रही है वे बैंक जाकर संबंधित अधिकारी से मिलें। सरकार की तरफ से 2 लाख रुपए तक के लोन को माफ करने के स्पष्ट आदेश हैं।
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