मध्य प्रदेश में वंदे मातरम् गाने को लेकर सियासत के गलियारों में काफी हलचल मची हुई थी लोकिन अब यह हलचल शांत होती दिख रही है। भाजपा की ओर से लगातार हो रहे हमलों और दबाव के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने रुख से पलटने पर मजबूर हो गए। प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने अपना फैसला वापस लेते हुए इसे नए स्वरुप में गाने की तैयारी भी कर ली है। उन्होंने कहा है कि अब पुलिस बैंड के साथ वंदे मातरम् गाया जाएगा। इतना ही नहीं इस दिन सभी सरकारी कर्मचारी शौर्य स्मारक से वल्लभ भवन तक मार्च करेंगे। इसमें आम लोगों को भी जोड़ा जाएगा। इस संबंध में सरकार ने आदेश जारी कर दिया है।
बता दें कि अब तक वंदे मातरम् की चली आ रही परंपरा के अनुसार, यह सामूहिक गान मंत्रालय परिसर में मंत्री की मौजूदगी अथवा मुख्य सचिव की उपस्थिति में होता आया है। इस बीच, 1 जनवरी को भोपाल में मंत्रालय के सामने उद्यान में सामूहिक वंदे मातरम् न गाए जाने के बाद कमलनाथ सरकार घिर गई थी। हालांकि, अब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यू-टर्न ले लिया है। उन्होंने कहा, ‘भोपाल में अब आकर्षक स्वरूप में पुलिस बैंड और आम लोगों की सहभागिता के साथ वंदे मातरम् का गायन होगा। हर महीने के पहले कार्यदिवस पर सुबह 10:45 बजे पुलिस बैंड राष्ट्र भावना जागृत करने वाले धुन बजाते हुए शौर्य स्मारक से वल्लभ भवन तक मार्च करेंगे।’
शिवराज बोले पहले मैं गाऊंगा
साल के पहले दिन वंदे मातरम् का गान नहीं होने के बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने मामले को हाथों-हाथ लपक लिया और कांग्रेस पर ताबड़-तोड़ हमले शुरू कर दिए। उन्होंने पूछा कि आखिर किसके कहने पर वंदे मातरम् गाने की परंपरा को तोड़ा गया। शिवराज ने कहा, ‘अगर कांग्रेस को राष्ट्र गीत के शब्द नहीं आते हैं या फिर राष्ट्र गीत के गायन में शर्म आती है, तो मुझे बता दें। हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में जनता के साथ वंदे मातरम् मैं गाऊंगा।’
2005 में बाबूलाल गौर ने शुरू किया था
वंदे मातरम् का गायन हर महीने की पहली तारीख पर होता था। ये परंपरा पिछले 13 सालों से निभाई जा रही थी। हर महीने की पहली तारीख को मंत्रालय के सामने स्थित पार्क में सभी अधिकारी-कर्मचारी वंदे मातरम् गायन में शामिल होते थे और उसके बाद काम शुरू होता था। लेकिन नए साल की पहली तारीख को ये आयोजन नहीं हुआ। तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने इस परंपरा को शुरू किया था। तब से हर महीने की पहली तारीख को मंत्रालय के पार्क में सभी अधिकारी-कर्मचारी वंदे मातरम का गायन कर काम शुरू करते थे।
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