आज हरियाणा की जींद और राजस्थान की रामगढ़ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे घोषित किए जा रहे हैं। दोनों सीटों पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में कांटे की टक्कर है। जींद में उपचुनाव हुए हैं जबकि राजस्थान के रामगढ़ में उम्मीदवार के निधन के कारण बाकी सीटों के साथ चुनाव नहीं हो सके थे।
कांग्रेस ने जींद से अपने बड़े नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला को मैदान में उतारा है। कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनाव 2019 होने हैं, लिहाजा पार्टियां अपनी-अपनी जीत को किला फतह से जोड़ेंगी और इसका सीधा संबंध दिल्ली के तख्त-ओ-ताज से जोड़ा जाएगा।
जींद का रण
जींद की बात करें तो यहां 28 जनवरी को उपचुनाव हुए थे। वोटिंग में भारी मात्रा में भीड़ देखने को मिली। सीट का ब्योरा देखें तो जींद निर्वाचन क्षेत्र में 1.7 लाख पंजीकृत वोटर हैं जिनमें से अनुसूचित जाति (एससी) और पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा है। जाटों का लगभग 25 प्रतिशत वोट है।
हाल के महीनों में कांग्रेस ने जिस प्रकार से भाजपा को अगड़ी जातियों, अमीरों, उद्योगपतियों से जोड़ा है और एससी, एसटी, ओबीसी को लुभाने की कोशिश की है, उससे स्पष्ट है कि कांग्रेस को जींद से काफी उम्मीदें हैं। उसने विधायक रणदीप सुरजेवाला को जींद में उतारा है। हालांकि यह लड़ाई इतनी आसान नहीं है क्योंकि यह इनेलो की शर्तिया सीट रही है। यह उपचुनाव इसलिए भी अहम है क्योंकि इस साल हरियाणा में विधानसभा चुनाव होंगे और जीत-हार का समीकरण जींद से सीधा जोड़कर देखा जाएगा।
रामगढ़ का गणित
अब बात राजस्थान में हुए रामगढ़ उपचुनाव की है। इस सीट पर वोटिंग पहले 7 दिसंबर 2018 को होने वाली थी लेकिन ठीक चुनाव के पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह का निधन हो जाने के बाद इसे टालना पड़ा। चुनावी मैदान में 20 उम्मीदवार हैं लेकिन असली लड़ाई कांग्रेस की सफिया जुबैर खान, भाजपा के सुखवंत सिंह और बसपा के जगत सिंह के बीच है। राजस्थान में किसान मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है और कांग्रेस ने हाल के विधानसभा चुनाव में कर्जमाफी कर उनका दिल जीता है, इसलिए उसका पलड़ा भारी दिखाई देता है। हालांकि उसका जाट फैक्टर कमजोर है। कांग्रेस के पास कोई जाट चेहरा ऐसा नहीं है जो अपने क्षेत्र का असर रखता हो, जबकि राजस्थान में जाट मतदाता प्रभावी और मुखर है।
कांग्रेस के साथ प्लस प्वाइंट यह है कि हाल में बीते विधानसभा चुनाव 2018 में उसे बंपर वोट मिले और भाजपा की सरकार जाती रही। 199 सीटों में कांग्रेस को 99 और उसकी सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल को एक सीट मिली। भाजपा यहां 73 सीटों पर सिमट गई। 6 विधायक बसपा के और 13 निर्दलीय जीते। इन सभी विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को समर्थन दिया है। यह समर्थन रामगढ़ के उपचुनाव पर असर डाल सकता है।
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