लोकसभा चुनाव 2019 दो दशक बाद एक बार फिर लोकसभा चुनाव राष्ट्रवाद के साये में होगा। पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय वायु सेना की सर्जिकल 2 को अंजाम देने के बाद मोदी सरकार फूली नहीं समा रही है। ऐसे में भाजपा पार्टी को बहुत उम्मीदें हैं कि इस कार्रवाई से वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के बाद चली राष्ट्रवादी लहर बीते लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में लहर पैदा करेगी। तब एक वोट से सरकार गिरने के बाद कारगिल युद्ध के कारण पूरे देश में चली राष्ट्रवादी लहर ने भाजपा की सत्ता में वापसी करा दी थी। उस समय महज 114 सीटों पर सिमटी कांग्रेस को ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा था।
सबसे बड़ा राष्ट्रवादी सियासी चेहरा पीएम मोदी
भाजपा के रणनीतिकारों की मानें तो पाकिस्तान के खिलाफ इस कार्रवाई ने एक बार फिर से पूरे लोकसभा चुनाव को राष्ट्रवाद पर केंद्रित कर दिया है। राष्ट्रवाद के साये में होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी के पास सबसे बड़ा राष्ट्रवादी सियासी चेहरा पीएम मोदी हैं। साथ ही अब वायु सेना की सर्जिकल स्ट्राइक से सारे स्थानीय मुद्दों के हवा हो जाने की संभावना भी बन गई है। संपूर्ण भारतवासियों के मुंह से आज सिर्फ एक ही आवाज आ रही है मोदी.मोदी।
भाजपा की आगे की रणनीति
राजस्थान की जनसभा से भाजपा ने इस मुद्दे को भुनाने की रणनीति को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। अब लोकसभा चुनाव 2019 तक पार्टी के सभी नेता जनसभाओं में अपने भाषण को मुख्य रूप से इसी मुद्दे पर केंद्रित रखेंगे। इसके अलावा पार्टी राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर लगातार राजनीतिक कार्यक्रमों का आयोजन करेगी। इस दौरान पीएम की छवि को भुनाने की भी रणनीति बनी है।
1999 का चुनाव क्यों हुआ था राष्ट्रवादी
साल 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में वर्ष 1998 में हुए कारगिल युद्ध के कारण बही राष्ट्रवादी बयार में भाजपा ने अपनी सत्ता बचा ली थी। इससे पहले एक वोट से सरकार गिरने के बाद अगले चुनाव के परिणामों के प्रति भाजपा आशंकित थी। मगर इस चुनाव में पार्टी ने न सिर्फ अपना 182 सीटों का रिकार्ड कायम रखा, बल्कि कांग्रेस के सीटों की संख्या 141 से घट कर 114 रह गई। यह कांग्रेस की अब तक की सबसे बड़ी हार थी।