लोकसभा चुनाव 2019 में देश की कुल 543 लोकसभा सीटों में से 221 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां की सियासी लड़ाई कांग्रेस-भाजपा के बीच नहीं बल्कि तीसरी ताकत के रूप में वहां के क्षेत्रीय दलों से है। दिलचस्प बात ये है कि देश के आठ राज्य ऐसे हैं जहां की अधिकतर सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है।
लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए और भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के बीच ही सीधी लड़ाई मानी जा रही है। हालांकि देश की तकरीबन आधी लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इन दोनों दलों और गठबंधन के अलावा तीसरी ताकत के रूप में क्षेत्रीय दल हैं, जो नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी दोनों के खिलाफ मजबूती के साथ चुनावी संग्राम में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। देश में ऐसी 221 संसदीय सीटे हैं, जहां त्रिकोणीय मुकाबला होता नजर आ रहा है।
यूपी में सपा-बसपा गठबंधन
उत्तर प्रदेश में नरेंद्र मोदी के विजयरथ को रोकने के लिए सपा-बसपा ने गठबंधन किया है। सूबे की 80 लोकसभा सीटों पर सपा-बसपा ने राष्ट्रीय लोक दल और निषाद पार्टी को अपने साथ मिलाया है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने भी प्रियंका गांधी के बाद महान दल और पीस पार्टी जैसे दलों को लेकर गठबंधन की कवायद की है। इसके अलावा भाजपा का ओम प्रकाश राजभर और अपना दल के साथ गठबंधन है। इस तरह से सूबे की सियासी लड़ाई त्रिकोणीय होती दिख रही है। हालांकि अपना दल और राजभर को लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं है।
बंगाल में चार दलों में उठापटक
पश्चिम बंगाल में अभी तक किसी भी दल का कोई गठबंधन नहीं हुआ है। राज्य में टीएमसी, भाजपा, कांग्रेस और वामपंथी दल हैं। ममता के साथ न तो लेफ्ट और न ही कांग्रेस जाना चाहते हैं। इस तरह से सूबे की 42 लोकसभा सीटों के लिए चार प्रमुख पार्टियों के बीच मुकाबला माना जा रहा है। हालांकि ममता बनर्जी का अपना आधार इन सभी दलों में सबसे ज्यादा है। भाजपा राज्य में दूसरी पार्टी बनकर उभरी है।
आपको बता दें कि देश की कुल 543 लोकसभा सीटों में से उत्तर प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली सहित आठ राज्यों में 221 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस और भाजपा की सीधी लड़ाई ‘तीसरे मोर्चे’ के रुप में क्षेत्रीय दलों से है। ये सभी दल देश की सत्ता से नरेंद्र मोदी को हर हाल में हटाने की कोशिश कर रहे हैं।
Tags: गठबंधन, भाजपा, लोकसभा चुनाव 2019