प्रियंका गांधी के आने से यूपी में किसे होगा ज्यादा नुकसान, महागठबंधन या भाजपा?
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में दस्तक ने यूपी के सियासी समीकरण को एक बार फिर से उलझा दिया है। यूपी में अब तक भाजपा और सपा-बसपा गठबंधन के बीच सीधी टक्कर को प्रियंका गांधी की एंट्री ने त्रिकोणीय बना दिया है। प्रियंका गांधी की राजनीतिक एंट्री के बाद से अब हर कोई यही सवाल कर रहा है कि क्या एक मजबूत दावेदारी पेश करने का दावा करने वाली कांग्रेस से भाजपा को फायदा मिलेगा? क्या कांग्रेस के इस कदम से मायावती को नुकसान होगा? अगर कुछ सियासी समीकरणों पर नजर डालें तो ऐसे हालात बनते दिख रहे हैं कि कांग्रेस के आने से शायद भाजपा को सीधे तौर पर फायदा हो सकता है।
महागठबंधन को हो सकता है नुकसान
कल तक कांग्रेस यूपी में सपा-बसपा से गठबंधन करने के लिए तैयार थी। कांग्रेस को कही न कही उम्मीद थी कि इस गठबंधन में उसे भी जगह मिल सकती है। इसके लिए राहुल गांधी ने यूपी में सपा-बसपा से गठबंधन के लिए अपने दरवाजे खोल रखे थे। मगर अब प्रश्न यह उठ रहा है कि क्या कांग्रेस द्वारा प्रियंका को राजनीति में लाने के बाद सपा-बसपा के वोटबैंक पर असर पड़ेगा? क्या कांग्रेस बसपा-सपा के वोटबैंक में सेंधमारी करेगी, जिससे भाजपा को फायदा होगा। अगर ऐसा होता है तो 2014 के लोकसभा चुनाव में 71 सीटें जीतने वाली भाजपा एक बार फिर से अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने में कामयाब रहेगी।
लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटों वाले यूपी में किसी भी राजनीतिक दल के लिए यह एक बहुत अहम राज्य है। एक समय में उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस पार्टी पिछले कुछ दशकों से हर चुनाव में अपनी पूरी कोशिश के बावजूद वहां कुछ खास नहीं कर पाई। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को यूपी में केवल 2 सीटें ही मिलीं थी। इस बार कांग्रेस को यूपी में 30 सीटों पर जीत हासिल करने की उम्मीद है। हालांकि ऐसा अभी तक संभव नहीं लग रहा है लेकिन प्रियंका से कांग्रेस को काफी उम्मीदें हैं। तो क्या प्रियंका गांधी यूपी में कांग्रेस को फिर से खड़ा कर पाएंगी? सवाल यह भी बड़ा है कि क्या प्रियंका गांधी की यूपी में सक्रिय तौर पर एंट्री से सपा-बसपा के महागठबंधन या फिर भाजपा पर असर पड़ेगा और अगर पड़ेगा तो कितना? इन सवालों को लेकर एक बड़ा सर्वे सामने आया है।
सर्वे के नतीजे बेहद चौंकाने वाले
‘इंडिया टुडे पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज’ के तहत 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर एक सर्वे किया गया। सर्वे में शामिल 57 फीसदी लोगों का मानना है कि सक्रिय राजनीति में प्रियंका गांधी की एंट्री से यूपी में कांग्रेस के पुनरुद्धार में कोई मदद नहीं मिलेगी। सर्वे में सामने आया कि केवल 27 फीसदी लोग सोचते हैं कि प्रियंका गांधी के आने से यूपी में कांग्रेस का चुनावी सितारा चमकेगा। सर्वे में शामिल लोगों से जब पूछा गया कि प्रियंका के आने से यूपी में किस पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान होगा तो 56 फीसदी लोगों का कहना था कि सपा-बसपा के गठबंधन पर प्रियंका की एंट्री भारी पड़ेगी। इन 56 फीसदी लोगों में वो 27 प्रतिशत लोग भी शामिल थे, जिन्होंने यह माना कि प्रियंका गांधी की एंट्री कांग्रेस को यूपी में संजीवनी प्रदान करेगी। इसके अलावा सर्वे में 31 फीसदी लोगों का कहना है कि प्रियंका यूपी में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी। ओपिनियन पोल को आधार मानें तो यह कहा जा सकता है कि प्रियंका की कांग्रेस में एंट्री से कांग्रेस को कम और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को ज्यादा फायदा पहुंचने का अनुमान है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान बसपा, सपा और राष्ट्रीय लोक दल के महागठबंधन को उठाना पड़ सकता है।
चारों तरफ घूमती यूपी की राजनीति
सर्वे आने के बाद से यूपी का सियासी माहौल काफी गर्म है। ये सर्वे भले ही यूपी में प्रियंका के आने से महागठबंधन को नुकसान होने का इशारा कर रहे हैं लेकिन माहौल भाजपा का भी बिगड़ सकता है। हालांकि यह सिर्फ सर्वे है इससे कुछ भी स्पष्ट नहीं होता। हम सब एक बात तो अच्छी तरह से जानते कि चाहे महागठबंधन हो या कांग्रेस मकसद तो सिर्फ मोदी को हटाना है। अब जरा सीक्रेट डील को समझते हैं। कुछ दिनों पहले सपा-बसपा सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि वे यूपी की उन सात लोकसभा सीटों पर कमजोर प्रत्याशी उतारेंगे, जहां कांग्रेस पिछले लोकसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रही थी। अब इसी रणनीति को और विस्तार देते हुए कांग्रेस ने नया लक्ष्य रखा है। वह उन 30 सीटों पर फोकस कर रही है, जहां उसे 1 लाख या उसके आस-पास वोट मिले थे। साथ खबर यह भी है, कांग्रेस उन 22 सीटों पर सबसे ज्यादा फोकस करेगी, जहां सपा, बसपा मिलकर भी भाजपा को नहीं हरा सके थे। मतलब कांग्रेस 2019 लोकसभा चुनाव में यूपी के मैदान में वोट कटुआ पार्टी तो रहेगी, लेकिन सबसे ज्यादा जोर वहां लगाएगी, जहां भाजपा का किला अभेद नजर आ रहा है। साथ ही जहां कांग्रेस मजबूत है, वहां सपा-बसपा कमजोर प्रत्याशी उतारेगी और जहां सपा-बसपा मजबूत वहां कांग्रेस ऐसा प्रत्याशी उतारेगी जो सीधे भाजपा उम्मीदवार के वोट काट सके।
कुल मिलाकर मौजूदा समय में यूपी की राजनीति चारों तरफ घूम रही है। यहां पर जमीनी स्तर की राजनीति कुछ और कह रही और सर्वे कुछ और बयां कर रहे हालांकि हम सर्वे को गलत नहीं कह सकते। बसपा-सपा भले ही यूपी की राजनीति के पुरोधा रहे हैं, लेकिन बिना कांग्रेस के साथ टैक्टिकल एलायंस किए, भाजपा को वे अब भी नहीं हरा सकते। यही वजह है कि राहुल गांधी और अखिलेश यादव एक-दूसरे के प्रति इतना आदर-सम्मान दिखा रहे हैं, क्योंकि वे जानते हैं भाजपा को इनमें से कोई अकेला नहीं हरा सकता है।