लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में दस्तक ने यूपी के सियासी समीकरण को एक बार फिर से उलझा दिया है। यूपी में अब तक भाजपा और सपा-बसपा गठबंधन के बीच सीधी टक्कर को प्रियंका गांधी की एंट्री ने त्रिकोणीय बना दिया है। प्रियंका गांधी की राजनीतिक एंट्री के बाद से अब हर कोई यही सवाल कर रहा है कि क्या एक मजबूत दावेदारी पेश करने का दावा करने वाली कांग्रेस से भाजपा को फायदा मिलेगा? क्या कांग्रेस के इस कदम से मायावती को नुकसान होगा? अगर कुछ सियासी समीकरणों पर नजर [...]Read more
लोकसभा चुनाव होने में अब लगभग दो महीने का समय ही शेष बचा है, ऐसे में सभी राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। कल तक जो कांग्रेस राफेल को लेकर भाजपा पर भष्टाचार का आरोप लगा रही थी। अब वही भाजपा रॉबर्ट वाड्रा को लेकर कांग्रेस पर हमलावर है। इसका मुख्य कारण है औपचारिक तौर पर प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री और उनका कांग्रेस महासचिव बनाया जाना। हालांकि भाजपा सीधे तौर पर प्रियंका गांधी पर हमला बोलने से बच रही है। मौजूदा समय में भाजपा अपने राजनीतिक फायदे के [...]Read more
लोकसभा चुनाव आने से ठीक पहले प्रियंका गांधी की भारतीय राजनीति में एंट्री से एक उबाल सा आ गया है। वैसे तो प्रियंका गांधी भारतीय राजनीति का ऐसा नाम जो किसी परिचय का मोहताज नहीं। लेकिन उनके भाई और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रियंका को कांग्रेस का महासचिव नियुक्त करके सियासत में एक नई पहचान देने का काम किया है। इतना ही नहीं भाई ने अपनी लाडली बहन को लोकसभा की 80 सीटों वाली यूपी की कमान भी सौंपी है ये वो यूपी है जो किसी भी राजनीतिक पार्टी को दिल्ली की सत्ता तक पहुंचाने [...]Read more
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए आखिरकार प्रियंका गांधी के नाम पर तुरूप का इक्का चल दिया है। लंबे समय से कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मांग थी कि प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारा जाए वो अब पूरी हो चुकी है। इससे पहले प्रियंका गांधी की राजनीति सिर्फ उनके घरेलू क्षेत्र अमेठी और रायबरेली तक ही सीमित रही है। हालांकि अब प्रियंका गांधी के कांग्रेस महासचिव बन जाने के बाद उनका राजनीतिक ग्राफ काफी बढ़ गया है इसके अलावा उन्हें पूर्वी यूपी की कमान भी सौंपी गई है। आपको बता दें कि कांग्रेस की नई नवेली महासचिव [...]Read more
लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है। वैसे-वैसे भाजपा के खिलाफ बन रहे महागठबंधन से एक-एक कर सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियाँ अलग होती जा रही हैं। अब यह महागठबंधन उतना ज्यादा मजबूत नजर नहीं आ रहा है। जिसका दावा कुछ महीने पहले तक सभी विपक्षी पार्टियों के द्वारा किया जा रहा था। 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद राहुल गांधी द्वारा महागठबंधन को लेकर जिस प्रकार की सियासी रणनीति तैयार की जा रही थी। उसे देखकर लगता था कि आने वाला लोकसभा चुनाव मोदी बनाम महागठबंधन ही होगा। हालाँकि भाजपा के लिए यह चुनाव अभी भी [...]Read more
2019 का सेमीफाइनल 2019 का सेमीफाइनल कहे जाने वाले 2018 के विधानसभा चुनाव भाजपा (एनडीए) के लिए बुरी खबर लेकर आए। या यू कहे कि 2019 में सत्ता के फाइनल से पहले ही भाजपा को मुँह की खानी पड़ी और राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पाँच में से तीन राज्यों में अपनी सरकार बनाने में सफल रही। विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद जिस प्रकार से कांग्रेस एक बार फिर से उभर कर सामने आई है। उससे एक बात तो साफ है कि 2019 के महाभारत की लड़ाई अब कांटे की होगी। फिलहाल इस महाभारत में कौन कौरव [...]Read more
पाँच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों को 2019 के लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। आपने राजनीति में कई गठबंधनों को बनते बिगड़ते देखा होगा। आज हम बात कर रहे हैं तेलंगाना की, जहाँ एक नए गठबंधन की नीव रखी गई है। देश के 3 बड़े राज्यों के चुनावी शोरगुल में तेलंगाना की चर्चा भले ही कम रही हो लेकिन लोकसभा की सीटों के लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण राज्य है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलुगु देशम से गठंबधन करके जिस तरह से भाजपा को राज्य से [...]Read more
छत्तीसगढ़ की धरती पर चुनावी रण का बिगुल बज चुका है। इस प्रतियोगिता में कई दल आमने सामने हैं लेकिन भाजपा और कांग्रेस इसके प्रमुख प्रतियोगी हैं और साथ ही सबसे बड़े दावेदार भी।यहाँ हुए पिछले तीन चुनावी संघर्षों में अब तक बाजी भाजपा के हाथ ही लगी है। जाहिर है भाजपा अपने वर्चस्व को खोना नहीं चाहेगी, वहीं कांग्रेस सत्ता प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। यह स्वाभाविक है कि जब चुनाव का समय पास आता है तब पक्ष-विपक्ष के नेता जनता को अपने पाले में लाने के लिए तरह-तरह की बयानबाजी [...]Read more