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‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’: अखंड भारत के सूत्रधार सरदार बल्लभभाई पटेल और उनका अविस्मरनीय योगदान
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‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’: अखंड भारत के सूत्रधार सरदार बल्लभभाई पटेल और उनका अविस्मरनीय योगदान [ नरेंद्र मोदी ]: वर्ष 1947 के पहले छह महीने भारत के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण रहे थे। साम्राज्यवादी शासन के साथ-साथ भारत का विभाजन भी अपने अंतिम चरण में पहुंच गया था। हालांकि, उस समय यह तस्वीर पूरी तरह से साफ नहीं थी कि क्या देश का एक से अधिक बार विभाजन होगा। कीमतें आसमान पर पहुंच गई थीं, खाद्य पदार्थों की किल्लत आम बात हो गई थी, लेकिन इन बातों से परे सबसे बड़ी चिंता भारत की एकता को लेकर नजर आ [...]Read more

भारतीय राजनीतिक दल और उनकी विचारधाराएं
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भारतीय राजनीतिक दल और उनकी विचारधाराएं भारत में राजनीतिक दलों में तेजी से हो रही वृद्धि को स्पष्ट करने वाला एकमात्र कारक विचारधारा में अंतर है। हालांकि उनमें से कुछ दल उदारवादी विचारधारा के समर्थक हैं,तोकुछ पूंजीवाद के विरोधी हैं। हिंदू राष्ट्रवाद द्वारा शपथ ग्रहण करने वाले कुछ राजनीतिक दलों के साथ सामाजिक क्षेत्र में भी वैचारिक मतभेद शामिल हैं और शेष दल प्रगतिशील पश्चिमीकरण के साथ सम्पूर्ण रूप से संतुष्ट प्रतीत होते हैं। यह विचारधाराओं और उनके पेशेवरों की विविधता है जो भारतीय राजनीति को अभी भी एक कठिन और दिलचस्प अध्ययन का मामला बनाती है। [...]Read more

जानिए क्या होते हैं इलेक्टोरल बांड्स
Electoral Bonds All You Need to Know

जानिए क्या होते हैं इलेक्टोरल बांड्स एक इलेक्टोरल बांड से क्या तात्पर्य है? सामान्यतयः एक बांड का अर्थ मूलधन और ब्याज के सन्दर्भ में लगाया जाता है। इलेक्टोरल बांड्स में ऐसा कोई पहलू नहीं है, वे बेयरर चेक की तरह ज्यादा प्रतीत होते हैं। एक इलेक्टोरल बांड एक राजनीतिक पार्टी को वित्तपोषित करने का एक वैध और शुद्ध माध्यम है। सरकार ने नगदी के माध्यम से फंडिंग के चलन पर रोक लगा दी है और अपनी पसंद के राजनीतिक दल की मदद करने एक मात्र रास्ता है इलेक्टोरल बांड्स। कोई भी व्यक्ति इन बांड्स को ऑनलाइन या [...]Read more

भारत में राजनीतिक व्यवस्था के लिए संवैधानिक ढांचा
Constitutional Framework for Political System in India

भारत में राजनीतिक व्यवस्था के लिए संवैधानिक ढांचा भारतीय राजनीति को संविधान, जो भारतीय राजनीतिक प्रणाली और इसके मूल उद्देश्यों के प्रत्येक पहलू को परिभाषित करता है, में निर्धारित सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया जाता है। संविधान में निर्दिष्ट नियम और प्रक्रियाएं देश के शासन को आधार देती हैं। केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तरों पर सरकारों की संरचना एवं कार्यप्रणाली को स्पष्ट करने के अलावा संविधान राजनीति के कई अन्य पहलुओं से निपटने के लिए एक सन्दर्भ दस्तावेज के रूप भी कार्य करता है। भारतीय राजनीति को मार्गदर्शित करने वाले संवैधानिक मूल्य भारतीय संविधान में राज्य नीति के [...]Read more

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 31
Right-to-Property-under-Article-31

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 31 संविधान के अनुच्छेद 31 में न केवल निजी स्वामित्व के अधिकार की गांरटी है बल्कि उचित प्रतिबंध के अलावा प्रतिबंधों से मुक्त संपत्ति का आनंद लेने और निपटाने का अधिकार भी है। अनुच्छेद में कहा गया है कि कानूनी अधिकार के अलावा, किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि मुआवजे का भुगतान उसी व्यक्ति को किया जाएगा जिसका संपत्ति सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए अधिग्रहित की गई है। अनुच्छेद 31 का अर्थ अन्य मौलिक अधिकारों के विपरीत, संपत्ति के अधिकार का [...]Read more

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 30 – अवधारणा और प्रासंगिकता
Article 30 of the Indian Constitution - Concept and relevance

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 30 – अवधारणा और प्रासंगिकता धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण भारत के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का आधार है। सभी धर्मों को इसी पैमाने पर रखने के साथ भारत ने हमेशा समानता के सिद्धांत की वकालत की है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 30 एक ऐसा प्रावधान है जो अल्पसंख्यक अधिकारों के संरक्षण को सुनिश्चित करता है। अनुच्छेद 30 की अवधारणा अनुच्छेद 30 को भारतीय संविधान के भाग III के तहत वर्गीकृत किया गया है जो भारत के नागरिकों को उनके धर्म, जाति और लिंग के अनपेक्ष दिए सभी मौलिक अधिकारों को स्पष्ट [...]Read more

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 22
Article-22-of-the-Constitution-of-India

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 22 अनुच्छेद 22, भारत के संविधान के भाग III (मौलिक अधिकार) में लेख के समूहों में से एक है, जिसे स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के उप-शीर्षक के तहत के साथ संग्रहित किया गया है। इस अनुच्छेद का विषय-वस्तु व्यक्तिगत स्वतंत्रता है। यह अनुच्छेद प्रत्येक गिरफ्तार व्यक्ति को कुछ मौलिक अधिकारों की गांरटी देता है। संविधान द्वारा गांरटी प्राप्त ये अधिकार अधिकारों की तुलना में उच्च स्थिति के हैं जो केवल सामान्य कानून द्वारा प्रदान किए जाते हैं और जिनकी ऐसी कोई संवैधानिक गांरटी नहीं होती है। वास्तव में, अनुच्छेद 22 प्रारूप संविधान में मौजूद [...]Read more

क्या होता है जब सरकार के पास राज्य सभा में नहीं होता है बहुमत
what-happens-if-the-government-does-not-have-majority-in-the-rajya-sabha

क्या होता है जब सरकार के पास राज्य सभा में नहीं होता है बहुमत एनडीए सरकार अपने कई विधेयकों को पारित करने की योजना में कई बार विफल रही है। मोदी सरकार को विपक्षी दलों द्वारा विरोध का सामना करना पड़ा है क्योंकि उन दलों के पास ससंद के उच्च सदन में बहुमत है। राज्य सभा में एनडीए की कमजोर संख्या ने मोदी, जो सुधारों को अनवरत आगे बढ़ाना चाहते हैं, को कमजोर किया है। चाहे यह कोयला खान विधेयक हो या बीमा विधेयक, हर एक महत्वपूर्ण विधेयक ठन्डे बस्ते में चला गया क्योंकि सत्तारूढ़ सरकार भूमि [...]Read more

भारत में दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधान
provisions-of-anti-defection-law-in-india

भारत में दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधान दल बदल विरोधी कानून को 1985 में 52 वें संशोधन के माध्यम से अधिनियमित किया गया था और दसवीं अनुसूची में स्थापित किया गया था। यह अधिनियम एक अलग राजनीतिक दल में दल-बदल के आधार पर निर्वाचित सदस्यों की अयोग्यता के प्रावधानों को निर्धारित करता है। इस कानून को राजीव गाँधी की अगुवाई वाली सरकार, जो कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के चलते एक ज़बरदस्त बहुमत के साथ सत्ता में आई थी, की पहल पर अधिनियमित किया गया था। दल-बदल विरोधी कानून की आवश्यकता क्यों पड़ी? राजीव गाँधी [...]Read more

भारत में लेफ्टिनेंट गवर्नर की शक्तियां
powers-of-lieutenant-governor-in-india

भारत में लेफ्टिनेंट गवर्नर की शक्तियां लेफ्टिनेंट गवर्नर एक महत्वपूर्ण संवैधानिक भूमिका निभाते हैं। भारतीय संविधान ने गवर्नर और लेफ्टिनेंट गवर्नर को भारत के राष्ट्रपति के समान शक्तियां और कार्य प्रदान किये हैं। भारत में लेफ्टिनेंट गवर्नर का पद दिल्ली (जो एक राज्य भी है), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह एवं पुडुचेरी के केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूद है। लेफ्टिनेंट गवर्नर की भूमिका और कार्य गवर्नर की तरह, लेफ्टिनेंट गवर्नर केंद्र शासित प्रदेश के नाम मात्र के मुखिया के रूप में कार्य करता है जबकि वास्तविक शक्ति का प्रयोग मुख्यमंत्री और उसके मंत्रिमंडल द्वारा किया जाता है। [...]Read more

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